Taj Mahal को दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित स्मारकों में से एक माना जाता है। यह सफेद संगमरमर का मकबरा है जो भारत में उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा जिले में स्थित है। ताजमहल को मुगल सम्राट शाहजहाँ ने अपनी तीसरी पत्नी मुमताज़ महल की याद में बनवा कर तैयार किया था। यह एक विश्व धरोहर के रूप में जाना जाता है जो की मुगल वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना है। यह एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है।
यहाँ Taj Mahal को लेकर कुछ अन्य रोचक जानकारियाँ हैं जिसके बारे में हम विस्तार से चर्चा कर रहे हैं।
ताजमहल का निर्माण और इतिहास
1. उस्ताद अहमद लाहोरी को ताजमहल का वास्तुकार माना जाता है। [स्रोत: [1]]
2. ताजमहल को बनाने में 22 साल का समय लगा। ताजमहल का निर्माण 1632 AD में शुरू हुआ जो 1653 AD में समाप्त हुआ। [स्रोत: [2]]
3. ताजमहल के निर्माण में 3.2 करोड़ का खर्च आया था। [स्रोत: [12]]
4. ताजमहल के निर्माण में करीब 20,000 मजदूरों को लगाया गया था। [स्रोत: [12]]
5. ताजमहल को 42 एकड़ की जमीन पर बना कर तैयार किया गया है।
6. ताजमहल का निर्माण शाहजहाँ ने अपनी चौथी बेगम मुमताज़ की याद में करवाया था। मुमताज़ की मौत 14वें बच्चे को जन्म देते वक़्त हुई थी। [स्रोत: [3]]
7. प्रामाणिक तौर पर यह नहीं कहा जा सकता की ताजमहल को किसने डिज़ाइन किया लेकिन ऐसा माना जाता है की 37 लोगों के दल ने मिलकर ताजमहल का नक्शा तैयार किया था और इन 37 कारीगरों को दुनिया के दूर कोने से बुलाया गया था।
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ताजमहल की स्थापत्य कला और डिज़ाइन
8. ताजमहल की नींव में आबनूस और महोगनी की लकड़ियों का इस्तेमाल किया गया है। [स्रोत: [4]]
9. ताजमहल की नींव कुवां आधारित है जिसमें 50 कुएं हैं। ताजमहल का वजन इन्हीं कुओं पर टिका हुआ है। इमारत के निर्माण के वक्त इन कुओं में आबनूस और महोगनी की लकड़ियों के लट्ठे डाले गए थे। इन लकड़ियों की सबसे बड़ी खासियत यह है की इन लकड़ियों को जितनी ज्यादा नमी मिलेगी ये लकड़ियाँ उतनी ही ज्यादा मज़बूत रहेंगी। इसीलिए ज़रूरी है की यमुना नदी इसकी दीवार से सट कर बहती रहे। यही कारण है की ताजमहल का निर्माण नदी किनारे किया गया।
10. ताजमहल के निर्माण में 28 किस्म के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। यह पत्थर बग़दाद, अफगानिस्तान, तिब्बत, मिस्त्र, रूस, ईरान आदि देशों के अलावा राजस्थान से मंगाए गए थे। [स्रोत: [6]]
11. सभी प्राचीन इमारतों में से ताजमहल पर हुई कैलीग्राफी सबसे सुन्दर मानी जाती है। ताजमहल के बड़े दरवाज़े पर लिखा यह सुलेख सबका स्वागत करता है:
“O Soul, thou art of rest.
Return to the Lord at peace with Him,
and He at peace with you.”
ये कैलीग्राफी “Thuluth” लिपि में है। इस कैलीग्राफी को “अब्दुल हक” नामक एक कारीगर ने ताजमहल के दरवाज़े के ऊपर उकेरा था। इसको ईरान देश से बुलाया गया था। शाहजहाँ ने उसकी कारीगरी से प्रेरित होकर उपाधि के तौर पर उसका नाम “अमानत खान” दिया।
12. ताजमहल की दीवारों पर जो नक्क़ाशी की गयी है उसकी तकनीक इटली के कारीगरों से सीखी गयी, उज़्बेकिस्तान (बुखारा) से संगमरमर को तराशने वाले कारीगर बुलाये गए, ईरान से संगमरमर पर कैलीग्राफी करने वाले कारीगर आये थे। पत्थरों को तराशने के लिए बलूचिस्तान से कारीगरों को बुलाया गया था।
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ताजमहल की संरचना और सुरक्षा तकनीक
13. ताज महल की चारों मीनारों का निर्माण इस प्रकार किया गया है कि अगर कोई भूकंप या बिजली गिरे तो यह मीनारें गुम्बद पर ना गिरें। यह चारों मीनारें बाहर की तरफ झुकी हुई हैं ताकि अगर ये किसी कारणवश गिरती भी हैं तो गुम्बद को कोई नुक्सान ना हो। इन मीनारों के झुकाव का एक कारण यह भी है कि अगर भूकंप आए तो यह मुख्य गुम्बद से दूर गिर जाएं और इस तरह भूकंप के सारे झटके मुख्य गुम्बद तक पहुंचने से पहले ही इन मीनारों में समाहित हो जाएं और इस तरह भूकंप का मुख्य गुम्बद पर कोई असर न हो और यह सुरक्षित हो जायेगा।
14. ताजमहल भारत की सबसे ऊँची मीनार कुतुबमीनार से अधिक ऊँचा है। Taj Mahal की ऊंचाई 73 मीटर है जबकि कुतुबमीनार 72. 5 मीटर ऊंचा है। [स्रोत: [7]]
15. ताजमहल के बाहर पानी की झील में सभी फव्वारे एक साथ काम करते हैं। इनके नीचे एक टैंक लगा हुआ है, टैंक के भरने के बाद दबाव बनने पर ये फव्वारे बिना किसी मोटर या मशीन के एक साथ पानी छोड़ते हैं।
16. बादशाह शाहजहाँ ने ताज महल के निर्माण के समय इसके शिखर पर सोने का कलश जिसकी लम्बाई 30 फुट 6 इंच थी लगवाया था। कलश करीब 40 हज़ार तोला सोने से बना था।
17. ताजमहल में प्रयोग किए जाने वाले बेशकीमती रत्नों जैसे सफ़ेद संगमरमर को राजस्थान के मकराना से, Jade and Crystal चीन से, Lapis Lazuli को अफगानिस्तान , Turquoise को तिब्बत, Jasper को पंजाब, Sapphire को श्रीलंका, Carnelian को अरब से और ऐसे ही कुछ और स्टोन जैसे Aqeeq , Yemenite, Firoza, Lajward, Moonga, Sulaimani, Lahsuniya, Tamra, Yashab Pitunia जैसे दुर्लभ रत्न और इसके अलावा अत्यंत दुर्लभ रत्न Tilai, Pai-Zahar, Ajuba, Khattu, Nakhod, Maknatis और ऐसे ही कुल मिलाकर 28 रत्नों को सफ़ेद संगमरमर पत्थरों में जड़ा गया था। इन सभी चीज़ो को विदेश से आगरा लाने में 1000 से भी अधिक हाथियों का इस्तेमाल किया गया था। [स्रोत: [11]]
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ताजमहल की अद्भुत विशेषताएँ
18. ताजमहल को 1983 में यूनेस्को विश्व धरोहर में शामिल किया गया। [स्रोत: [8]]
19. ताजमहल को 2007 में दुनिया के नए सात अजूबों की सूची में शामिल किया गया था। ताजमहल भारत का पहला स्मारक है जो दुनिया के सात अजूबों की सूची में शामिल किया गया है।
20. ताजमहल में लगी लकड़ियों की एक ख़ासियत यह भी है की इन लकड़ियों में कभी दीमक नहीं लगती। आबनूस की लकड़ियों में 30% या इससे ज्यादा नमी रहती है तो यह लकड़ी कभी खराब नहीं होती है। आम लकड़ी पानी में तैरती रहती है लेकिन आबनूस की लकड़ी का घनत्व ज्यादा होने के कारण यह लकड़ी पानी में डूब जाती है। आबनूस की लकड़ी बहुत मज़बूत होती है।
21. गौरतलब है की सीमेंट का आविष्कार 1824 में हुआ और Taj Mahal का निर्माण 1631 में शुरू हुआ तो फिर ताज महल के निर्माण में पत्थरों को चिपकाने में किस चीज़ का इस्तेमाल किया गया?
आज कल तो संगमरमर को चिपकाने के लिए कई तरीके मौजूद हैं। उस समय पत्थरों को चिपकाने और आधारशिला बनाने के लिए एक घोल तैयार किया गया था जिसका नाम “सरुज” बताया जाता है। यह लाइन, चिकनी मिट्टी तथा इसमें गुड़, दालें, चीनी, गोंद, राल आदि भी मिलाए जाते थे और बताशा, उड़द दाल, बेलगिरी का पानी, दही आदि का भी घोल में इस्तेमाल किया जाता था।
22. ताजमहल को दूसरे विश्वयुद्ध (1939 से 1945) और भारत पाकिस्तान युद्ध (1971) और मुंबई के 9-11 (11 सितम्बर 2001) हमलों के दौरान भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग ने इसे चारों तरफ से बांस का घेरा बनाकर हरे रंग के कपड़े से ढक दिया था ताकि यह दुश्मनों की नज़रो से बच सके।
23. ताजमहल भारत ही नहीं बल्कि फ़ारसी, तुर्क और इस्लामिक वास्तुकला का प्रतीक है।
24. ताजमहल में प्रयुक्त हुए नायाब पत्थरों का ही यह कमाल है कि यह सुबह के समय गुलाबी, दिन में दूधिया सफ़ेद, और पूर्णिमा की रात को सुनहरा नज़र आता है।
25. ताजमहल से प्रेरित होकर ही बांग्लादेश में ताजमहल बांग्लादेश, औरंगाबाद महाराष्ट्र में बीबी का मकबरा, अटलांटिक सिटी न्यू जर्सी स्थित ट्रम्प ताजमहल और Milwaukee, Wisconsin अमेरिका में स्थित त्रिपोली तीर्थ मंदिर (Tripoli Shrine Temple) बने हैं।
ताजमहल से जुड़े प्रसिद्ध मिथक और कहानियाँ
26. ऐसा माना जाता है कि शाहजहाँ ने Taj Mahal के निर्माण में लगे सभी 20,000 मज़दूरों के हाथ कटवा दिए थे ताकि ऐसी इमारत वह दुबारा कहीं ना बना सकें। परन्तु इस बात की पुष्टि के कहीं भी प्रमाण नहीं मिलते। कुछ इतिहासकारों का कहना है कि ऐसा हो सकता है कि शाहजहाँ ने उन सभी मज़दूरों को ज़िन्दगी भर का मेहनताना देकर उनसे एक कबूलनामा करवाया हो कि वह ताजमहल जैसी दूसरी किसी इमारत का निर्माण ना करें।
27. 1857 के विद्रोह में ताज महल को भारी नुक्सान हुआ था। स्मारक में लगी पच्चीकारी में लगे कीमती पत्थरों को निकाला गया यहाँ तक कि शाहजहाँ और मुमताज़ की कब्रों को भी नहीं छोड़ा गया। लेकिन लार्ड कर्ज़न ने इसे 1908 में दुबारा ठीक करवाया क्यूंकि तब तक इसे विश्व में प्रसिद्धि मिल चुकी थी।
ताजमहल से जुड़ी हुई कुछ महत्वपूर्ण पुरातात्विक खोजें:
1. 1904 में हुई पुरातात्विक खोज
स्थान: यमुना नदी के किनारे, ताजमहल के दक्षिण में
खोज: खुदाई के दौरान एएसआई ने 17वीं सदी के मकबरे, मेहमानखाने और मस्जिद के अवशेषों को उजागर किया।
महत्व: इस खोज ने ताजमहल परिसर के दायरे और मुगल वास्तुकला के विकास को समझने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
a.) ताजमहल का निर्माण और इतिहास
- इन खोजों से यह स्पष्ट हुआ कि ताजमहल का निर्माण 1632 में शुरू हुआ और 1653 में मुख्य रूप से पूरा हुआ, हालांकि कुछ अतिरिक्त कार्य बाद में भी किए गए।
- खुदाई में प्राप्त अभिलेखों और अवशेषों ने ताजमहल के निर्माण का समय और इसके निर्माण की तकनीकों के बारे में भी अध्ययन करने में मदद की और वहाँ की पुरातात्विक विशेषताओं को देखते हुए विशेष जानकारी प्राप्त करने में भी काफी सहायता प्रदान की।
b.) ताजमहल के नीचे छिपे मकबरे
- जॉन मार्शल के नेतृत्व में हुई खुदाई में प्रमुख मकबरे के नीचे 3 कमरे मिले थे।
- ऐसा यह कहा जाता है कि इनमें प्रमुख कमरे में शाहजहाँ और मुमताज महल को दफनाया गया है, और बाकी 2 कमरों में उनकी बेटियां और रिश्तेदारों को दफनाया गया है।
c.) ताजमहल के आसपास के बगीचे:
- इस खुदाई में ताजमहल के चारों ओर बने फारसी शैली के बाग़ों के बारे में भी जानकारी मिली।
- इन बगीचों में विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे, नहरें और फव्वारे थे, जो ताजमहल की सुंदरता में चार चाँद लगाते थे।
d.) अन्य अवशेष और कलाकृतियाँ
- ताज महल परिसर में खुदाई के दौरान कई तरह अवशेष और कलाकृतियां मिली थीं जिनमें मिट्ठी के बर्तन, हथियार, सिक्के और आभूषण शामिल हैं। इन खोजों ने मुग़ल काल के सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान की।
1904 की पुरातात्विक खोज ने ताजमहल के बारे में हमारी सोच को काफी हद तक बेहतर बनाया है और इस समारक के इतिहास और महत्व को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
2. 1939 में हुई पुरातात्विक खोज
स्थान : ताजमहल के मुख्य मकबरे के नीचे।
खोज : एएसआई ने ज़मीन के नीचे एक कक्ष की खोज की जिसमें शाहजहाँ और मुमताज़ महल की कब्र नहीं थी।
महत्व: इस खोज से पता चलता है की मकबरे के नीचे गुप्त कक्ष हैं, और ऐसा अनुमान लगाया जाता है की इनका प्रयोग मुग़ल राजपरिवार के अन्य सदस्यों को दफनाने के लिए किया गया था।
a.) पुराने निर्माण के अवशेष
इस खोज में ताज महल के नीचे कुछ निर्माण अवशेष पाए गए हैं जो मुग़ल काल से पहले के हो सकते हैं।
b.) शाही बाग़
इस खोज में एक शाही बाग़ का अवशेष मिलता है जिससे पता चलता है कि ताजमहल का यह परिसर पहले से ही एक महत्वपूर्ण स्थान था।
c.) जल निकासी प्रणाली
एक पुरानी जल निकासी प्रणाली का भी पता चलता है जो ताजमहल के समय की निर्माण तकनीक और उस समय की योजनाओं की जानकारी प्रदान करती है।
d.) मुग़ल कलाकृतियाँ
खुदाई के दौरान मुग़ल काल की कई कलाकृतियाँ जैसे सिक्के, बर्तन और अन्य कई दैनिक उपयोग के काम में लायी जाने वाली वस्तुएं मिलीं।
इन खोजों से यह पुष्टि हुई की ताजमहल के परिसर का इतिहास मुग़ल काल से भी पुराना है।
3. 1970 में हुई पुरातात्विक खोज
📚 स्रोत:
- उस्ताद अहमद लाहौरी – ताजमहल के वास्तुकार
- निर्माण काल: 1632–1653
- मुमताज महल की मृत्यु 14वें बच्चे के जन्म के दौरान
- ताजमहल की नींव लकड़ी से बनी है
- अमानत खान द्वारा की गई सुलेखकारी
- 28 प्रकार के कीमती पत्थरों का उपयोग
- ताजमहल की ऊँचाई
- विश्व धरोहर स्थल (1983)
- सील कमरों से जुड़े रहस्य
- दूसरे देशों से मंगवाए गए पत्थर
- मकराना संगमरमर
- निर्माण लागत और मजदूर
2 thoughts on “ताजमहल: मुगल वास्तुकला का एक अजूबा, रहस्यों से भरा, जो एक विश्व धरोहर है।”